The smart Trick of shiv chalisa in hindi That No One is Discussing
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
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अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद Shiv chaisa सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! Shiv chaisa सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥